दिमाग के दाएं- या- बाएं किस हिस्से में डरावनी यादें रहती हैं Which part of the brain, right or left, stores scary memories - THE NEWS READER 365

दिमाग के दाएं- या- बाएं किस हिस्से में डरावनी यादें रहती हैं Which part of the brain, right or left, stores scary memories

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कई बार  हमारे दिमाग  में चल रही हमारी पुरानी  बुरी यादें हमारा पीछा जल्दी नहीं छोड़ती. अगर हम उन्हें भुलाना भी चाहे तो वह हमें किसी न किसी तरह हम पर हावी होने लगती है.  आखिर डरावनी यादें क्यों साये की तरह हमारा पीछा करती हैं... वैज्ञानिकों ने इसके पीछे की वजह ढूँढ  निकाली है




















हमारे माइंड  में बुरी यादें कहां रहती हैं, ये बात वैज्ञानिकों ने पता लगा  लिया है. क्योंकि घटना हो जाने के कई साल बाद भी यादें आपको सताती रहती हैं. जिसकी वजह से लोगों को पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिस्ऑर्डर (पीटीएसडी) प्रतिक्रियाओं का एक समूह है जो उन लोगों में विकसित हो सकता है जिन्होंने किसी दर्दनाक घटना का अनुभव किया है या उसे देखा है तथा जो उनके जीवन या सुरक्षा (या उनके आसपास के अन्य लोगों के जीवन और सुरक्षा) के लिए खतरा है। या फिर वैसे ही लक्षण दिखते हैं. जानिए हमारे ब्रेन में ये बुरी यादें कहां छिपी रहती हैं?







कोई भी बुरा हादसा, घटना या मौका आपको सालों तक क्यों परेशान करता है? क्योंकि उससे जुड़ी बुरी और डरावनी यादें आपके दिमाग के एक हिस्से में छिपी रहती हैं. जो बीच-बीच में बाहर आती हैं, जिससे आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत बिगड़ने लगती है।  ऐसी हालत आमतौर पर पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिस्ऑर्डर (PTSD) की वजह से होती है










दिमाग का हिप्पोकैंपस (Hippocampus) वो इलाका होता है, जहां पर यादें बनती हैं  ये क्यों बार-बार मौके-बेमौके बाहर निकल आती हैं  जिसमें पता किया कि दिमाग में बुरी यादें कहां छिपी रहती हैं 












आपको जानकर हैरानी होगी ये बुरी यादें हमारे दिमाग के बेहद प्रमुख हिस्से में घर बनाती हैं. ये सभी बुरी यादें आपस में एक जाल बनाकर गुथी रहती हैं. एक निकलती है बाहर तो बाकी की भी एक-एक करके बाहर आने लगती हैं. वैज्ञानिकों ने ये भी पता करने की कोशिश की है कि इनका इलाज कैसे किया जा सकता है. उन्होंने एक चूहे को लिया जिसके दिमाग के नर्व सेल्स को इंजीनियर्ड किया गया था. ताकि डर या दर्द की अवस्था में उसके रेसपॉन्स को देखा जा सके.












दिमाग की उस जगह को देखा जा सके जहां पर यह खास नर्व एक्टिव होती है. इसके बाद इसे बिजली के झटके दिए गए. फिर छोड़ दिया गया. एक महीने बाद जब चूहे को वापस उसी जगह पर लाया गया तो वह मूर्ति की तरह रुक गया है. इसका दिमाग एक्टिव हो गया. उसका इंजीनियर्ड नर्व सेल सक्रिय हो गया. जब वैज्ञानिकों ने चूहे के दिमाग के कई सैंपल लिए तो हैरान रह गए. ये डरावनी यादें दिमाग के उस हिस्से में छिपी रहती हैं, जहां से आप कोई फैसला लेते हैं.






 फैसला लेने वाले दिमाग के हिस्से को प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स (PFC) कहते हैं. यानी जब आप उस जगह पर पहुंचते हैं जहां आपको किसी तरह का दर्द मिला था. या फिर आपकी कोई डरावनी याद है तो आपके दिमाग के अंदर से डरावनी यादें बाहर आने लगती हैं. आपको ट्रॉमैटिक स्ट्रेस होने लगता है. डर की वजह से दिमाग के न्यूरॉन्स का सर्किट बिगड़ जाता है.




 




 इस स्टडी से यह मदद मिलेगी कि अलग-अलग इंसानों को उनके डर और पुरानी बुरी यादों से कैसे ठीक किया जाए. साथ ही पीटीएसडी जैसी बीमारियों का इलाज कैसे किया जाए. 








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